ईरानी राष्ट्रपति का स्पष्टीकरण: युद्ध नहीं बढ़ाना चाहते, पर हमले का माकूल जवाब देंगे - तनाव के बीच तुर्किये से बातचीत
ईरानी राष्ट्रपति का स्पष्टीकरण: युद्ध नहीं बढ़ाना चाहते, पर हमले का माकूल जवाब देंगे - तनाव के बीच तुर्किये से बातचीत

तेहरान/अंकारा, 16 जून । मध्य पूर्व में जारी क्षेत्रीय तनाव के बीच, नव-निर्वाचित ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि ईरान, अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी इजराइल के साथ टकराव को और अधिक व्यापक रूप देना नहीं चाहता है। हालांकि, उन्होंने दृढ़ता से यह भी दोहराया कि यदि ईरान पर कोई हमला होता है, तो उसका "उचित और आनुपातिक जवाब" देने से पीछे नहीं हटेंगे। यह बयान ऐसे समय आया है जब ईरान और इजराइल के बीच हाल के महीनों में कई बार सीधे और परोक्ष टकराव देखने मिले हैं, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है।
राष्ट्रपति पेजेश्कियन ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोगन के साथ एक टेलीफोनिक बातचीत के दौरान की। इस बातचीत की जानकारी ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए और तुर्की की अनादोलु एजेंसी दोनों ने साझा की, जिससे बयान की पुष्टि और उसके महत्व पर जोर दिया गया।
ईरानी राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान संघर्ष ईरान द्वारा शुरू नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, "ईरान ने यह युद्ध शुरू नहीं किया। इजराइली आक्रमण में हमारे वैज्ञानिकों, सैन्य अधिकारियों और आम नागरिकों की जान गई है।" यह बयान इजराइल पर ईरानी लक्ष्यों या हितों पर हमले करने का आरोप है, जिसमें सीरिया जैसे देशों में ईरानी सैन्य सलाहकारों और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के सदस्यों की हत्याएं शामिल हैं। पेजेश्कियन ने स्पष्ट किया कि उनका जवाब इजराइली हमले के "स्तर के मुताबिक" होगा, जो यह दर्शाता है कि ईरान जवाबी कार्रवाई की तीव्रता हमले की गंभीरता के आधार पर तय करेगा।
बातचीत के दौरान, राष्ट्रपति पेजेश्कियन ने अमेरिका के साथ रुकी हुई परमाणु वार्ता के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने इस वार्ता में ईरान की भागीदारी को इजराइल के क्षेत्रीय हमलों को रोकने की शर्त से जोड़ा। उन्होंने कहा, "अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता में ईरान की भागीदारी पूरी तरह से इस बात पर निर्भर है कि जायनिस्ट शासन (इजराइल) अपने क्षेत्रीय हमलों को रोकता है या नहीं।" यह बयान दर्शाता है कि ईरान क्षेत्रीय सुरक्षा और अपने परमाणु कार्यक्रम से संबंधित कूटनीति को आपस में जोड़ रहा है, और इजराइल की कार्रवाइयां उसकी बातचीत की इच्छा को सीधे प्रभावित कर सकती हैं। यह 2015 के संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के पुनरुद्धार के प्रयासों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण शर्त है, जो अमेरिका द्वारा 2018 में वापस लेने के बाद से अधर में है।
इस बीच, तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोगन ने मध्य पूर्व में तनाव कम करने में अपने देश की भूमिका की पेशकश की। उन्होंने कहा कि तुर्किये संघर्ष को कम करने में 'सुविधाजनक भूमिका' निभाने को तैयार है। एर्दोगन ने ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता की वापसी का भी समर्थन किया। तुर्की, जो क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति है, ईरान और इजराइल दोनों के साथ जटिल संबंध रखता है। एर्दोगन ने इस बात पर जोर दिया कि पश्चिम एशिया में स्थिरता तुर्किये के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, यह दर्शाता है कि अस्थिरता का असर तुर्की की अपनी सुरक्षा और आर्थिक हितों पर पड़ता है।
राष्ट्रपति पेजेश्कियन का यह बयान उनके कार्यकाल की शुरुआत में ईरान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को दर्शाता है – संयम बरतने की इच्छा, लेकिन अपनी सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई की तैयारी। तुर्की के साथ बातचीत और एर्दोगन की मध्यस्थता की पेशकश क्षेत्र में कूटनीतिक प्रयासों के महत्व को रेखांकित करती है, खासकर ऐसे समय में जब तनाव किसी भी क्षण बढ़ सकता है।