बड़ा मंगल व्रत और पूजा विधि: कैसे करें हनुमान जी को प्रसन्न ?
बड़ा मंगल की कथा: हनुमान जी और श्रीराम का पहला मिलन | हनुमान जी की कृपा पाने का शुभ अवसर !

ज्येष्ठ मास का विशेष पर्व: बड़ा मंगल और उसका महत्व
ज्येष्ठ मास, जो कि हिंदू पंचांग के ग्रीष्मकालीन महीनों में से एक है, अपने आप में कई धार्मिक महत्व को समेटे हुए है। इस पवित्र मास में आने वाले सभी मंगलवार को 'बड़ा मंगल' अथवा कुछ क्षेत्रों में 'बुढ़वा मंगल' के नाम से जाना जाता है। यह दिवस विशेष रूप से भगवान हनुमान और उनके आराध्य, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को समर्पित है। इन पावन मंगलवारों पर भक्तजन अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ हनुमान जी और श्रीराम की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं।
पौराणिक आधार और श्रीराम-हनुमान मिलन:
बड़ा मंगल के उत्सव का मूल आधार एक अत्यंत महत्वपूर्ण पौराणिक घटना से जुड़ा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास के एक मंगलवार को ही पवनपुत्र हनुमान की पहली भेंट भगवान श्रीराम से हुई थी। यह भेंट किष्किंधा के वन में हुई थी, जब भगवान श्रीराम माता सीता की खोज कर रहे थे। हनुमान जी, जो उस समय सुग्रीव के वानर सेनापति थे, श्रीराम और लक्ष्मण को देखकर उनकी परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण के वेश में उनके पास पहुंचे थे। श्रीराम ने अपनी दिव्य दृष्टि से हनुमान जी के वास्तविक स्वरूप और उनकी भक्ति को तुरंत पहचान लिया। यह प्रथम मिलन अत्यंत पावन और युगांतरकारी था, जिसने भक्त और भगवान के अटूट रिश्ते की नींव रखी। इसी ऐतिहासिक भेंट की स्मृति में, ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवारों को बड़े मंगल के रूप में मनाया जाता है, जो श्रीराम और हनुमान के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
बड़ा मंगल का धार्मिक महत्व और लाभ:
बड़ा मंगल का हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि जो भक्त इस दिन सच्चे मन से व्रत रखते हैं और विधि-विधान पूर्वक हनुमान जी और भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सभी दुख, कष्ट, संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं। हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है, और उनकी कृपा से असाध्य कार्य भी सुगम हो जाते हैं।
इस दिन की गई पूजा से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। नकारात्मक शक्तियों, प्रेत बाधाओं और भय आदि का नाश होता है। इसके साथ ही, मंगलवार का दिन मंगल ग्रह से भी संबंधित है। हनुमान जी की पूजा से कुंडली में मौजूद मंगल दोष का निवारण होता है और मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होकर शुभ फल प्राप्त होते हैं, जिससे साहस, पराक्रम और भूमि-संपत्ति से जुड़े मामलों में लाभ होता है। बड़ा मंगल का विधिपूर्वक पालन करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
क्षेत्रीय परंपराएं:
बड़ा मंगल विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और उसके आसपास के क्षेत्रों में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। लखनऊ शहर में इसका उल्लास देखते ही बनता है। यहाँ कई स्थानों पर विशाल भंडारे आयोजित किए जाते हैं, जहां हजारों लोगों को भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि लखनऊ में बड़ा मंगल मनाने की परंपरा नवाबों के समय से चली आ रही है, जब किसी नवाब की मन्नत पूरी होने पर उन्होंने हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया और ज्येष्ठ के मंगलवारों को विशेष आयोजन की शुरुआत हुई।
पूजा विधि और अनुष्ठान:
बड़ा मंगल के दिन पूजा-अर्चना के लिए कुछ विशिष्ट मुहूर्त अत्यंत शुभ माने जाते हैं। (उदाहरण के लिए, जैसा कि स्रोत पाठ में 2025 के संदर्भ में दिया गया है - यदि यह जानकारी किसी विशिष्ट वर्ष के लिए ही है तो उसे उसी तरह प्रस्तुत करें या सामान्य मुहूर्त के रूप में बताएं)।
- शुभ मुहूर्त (उदाहरण अनुसार):
- पहला मुहूर्त: प्रातः 5 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 13 मिनट तक
- दूसरा मुहूर्त: अभिजित मुहूर्त पूर्वाह्न 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
- तीसरा मुहूर्त: सायं 7 बजकर 4 मिनट से रात्रि 9 बजकर 30 मिनट तक
बड़ा मंगल की पूजा विधि:
- शुद्धि: बड़ा मंगल के दिन ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) उठें। स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ, विशेषकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि लाल रंग हनुमान जी को अत्यंत प्रिय है।
- चौकी स्थापना: पूजा स्थल पर एक साफ चौकी स्थापित करें और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। इस पर हनुमान जी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। अत्यंत शुभ फल प्राप्ति हेतु, हनुमान जी के साथ उनके आराध्य भगवान श्रीराम और माता जानकी की भी प्रतिमा या तस्वीर अवश्य रखें।
- पवित्रिकरण: गंगाजल या शुद्ध जल का छिड़काव कर पूजा स्थल और स्वयं को पवित्र करें। यदि तस्वीर है तो उसे साफ करें।
- आसन: कुश के आसन पर बैठकर पूजा का संकल्प लें।
- अर्पण: हनुमान जी और श्रीराम-सीता को लाल गुलाब के फूल, रोली (कुमकुम), अक्षत (चावल), धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
- नैवेद्य: हनुमान जी को विशेष रूप से बूंदी या बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं। फल, पान का बीड़ा और अन्य सात्विक नैवेद्य भी अर्पित करें। तुलसी दल भगवान श्रीराम को अवश्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप और पाठ: पूजा के दौरान निरंतर 'जय श्रीराम' और 'जय हनुमान जी' का जयकारा लगाते रहें। घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ बड़ा मंगल पर अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- आरती: पूजा के अंत में भगवान हनुमान जी, श्रीराम और माता जानकी की श्रद्धापूर्वक आरती उतारें। आरती करते समय मन में प्रभु का ध्यान करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने पर अर्पित किए गए नैवेद्य और लड्डुओं का प्रसाद सभी उपस्थित लोगों और परिवारजनों में वितरित करें। अपनी सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी अवश्य करें।
- सांयकालीन पूजा: यदि संभव हो तो शाम के समय भी पुनः हनुमान जी की आरती करें और अपनी मनोकामना पूर्ति तथा जीवन के कष्टों के निवारण के लिए विनम्र प्रार्थना करें।
हनुमान जी को चोला चढ़ाना:
बड़ा मंगल के दिन हनुमान मंदिर जाकर उन्हें चोला चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है:
- मंदिर गमन: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पास के किसी हनुमान मंदिर जाएं।
- पुष्प अर्पण: हनुमान जी को लाल रंग के फूल (जैसे गुड़हल, गुलाब) अर्पित करें।
- चोला मिश्रण: चमेली (या चमेली के तेल) में शुद्ध सिंदूर मिलाएं। यह मिश्रण चोला चढ़ाने के लिए तैयार है।
- चोला अर्पण: चोला चढ़ाने की शुरुआत हमेशा हनुमान जी के चरणों (बाएं पैर) से करें। इसे धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएं, सिर तक। ध्यान रखें कि चोला कभी भी ऊपर से नीचे की ओर नहीं चढ़ाया जाता। यह प्रक्रिया भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
- भोग: हनुमान जी को बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू या चूरमे का भोग लगाएं।
- दीप प्रज्ज्वलन: चमेली के तेल के 5 या 11 दीपक प्रज्ज्वलित करें।
- पाठ: मंदिर में ही बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें या हनुमान चालीसा का कम से कम 11 या 108 बार पाठ करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा और पाठ के बाद प्रसाद मंदिर में उपस्थित भक्तों और अन्य लोगों में वितरित करें।
इस प्रकार, ज्येष्ठ मास का बड़ा मंगल केवल एक सामान्य मंगलवार नहीं है, बल्कि यह श्रीराम और हनुमान के पावन मिलन का उत्सव है, जो भक्तों को अतुलनीय शक्ति, साहस और प्रभु कृपा प्राप्त करने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है। इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से की गई आराधना निश्चित रूप से जीवन को सुखमय और बाधा रहित बनाती है।